संकटा देवी मंदिर करीब एक हजार साल से अधिक पुराना है। शहर के बीच स्थित यह मंदिर देवी भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। शहर के चार शक्ति पीठों में संकटा देवी मंदिर का प्रमुख स्थान है। इस मंदिर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा है। इनके नाम पर ही शहर का नाम भी लक्ष्मीपुर हुआ, जो बाद में लखीमपुर कहलाया।
ऐसी किवदंती है कि इस मंदिर की स्थापना रुकमणी की इच्छा पर पशुपतिनाथ जाते समय महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने की थी। उस दौरान श्रीकृष्ण ने जिन चार शक्तिपीठों की स्थापना की, उनमें यह पहला मंदिर है। कभी इस मंदिर के चारों ओर विशाल सरोवर हुआ करता था जो बाद में समाप्त हो गया। मंदिर का जीर्णोद्धार यहां के तत्कालीन महेवा स्टेट के राजाओं ने समय-समय पर कराया है। आज भी यह मंदिर राज परिवार के संरक्षण में है।
यहाँ माता जी की ४ प्रकार की आरतियाँ होती हैं |
- मंगला आरती : 05:30 प्रातः
- श्रृंगार आरती : 07:30 प्रातः
- विश्राम आरती : 12:30 मध्यकाल
- संध्या आरती : 07:30 सायं
- शयन आरती : 09:30 रात्रि
दर्शन का समय
मंदिर कपाट बंद होने का समय
प्रात :- 5:30 बजे से दोपहर:- 12:30 बजे तक
दोपहर:- 2:30 बजे से रात 9:30 बजे तक
दोपहर :- 12:30 बजे से दोपहर:- 2:30 बजे तक
रात्रि :- 9:30 बजे से प्रातः 5:30 बजे तक