मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।
मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।
एक चरवाहे द्वारा जंगल में घास काटने के दौरान उसकी खुरपी लगने से शिवलिंग से खून निकलने लगा । चरवाहा घबराकर घर भाग आया। तब भगवान ने उसके सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई करने को कहा । चरवाहे ने इस स्थान की सफाई की तो उसे शिवलिंग दिखाई दी। क्षेत्र के लोग प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने लगे। शिवलिंग के आसपास लोगों ने चबूतरे का निर्माण करवा दिया। बुजुर्गों के मुताबिक इस स्थान पर आने वाले लोगों की मुरादें पूरी होने लगीं। धीरे- धीरे आसपास के क्षेत्र में यह स्थान सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात हो गया। बताते हैं कि कुछ लोगों ने शिवलिंग को ऊपर उठाने लिए कई मीटर तक जमीन खोदी लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला। आज भी शिवलिंग जमीन के काफी नीचे तक है।
एक चरवाहे द्वारा जंगल में घास काटने के दौरान उसकी खुरपी लगने से शिवलिंग से खून निकलने लगा । चरवाहा घबराकर घर भाग आया। तब भगवान ने उसके सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई करने को कहा । चरवाहे ने इस स्थान की सफाई की तो उसे शिवलिंग दिखाई दी। क्षेत्र के लोग प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने लगे। शिवलिंग के आसपास लोगों ने चबूतरे का निर्माण करवा दिया। बुजुर्गों के मुताबिक इस स्थान पर आने वाले लोगों की मुरादें पूरी होने लगीं। धीरे- धीरे आसपास के क्षेत्र में यह स्थान सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात हो गया। बताते हैं कि कुछ लोगों ने शिवलिंग को ऊपर उठाने लिए कई मीटर तक जमीन खोदी लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला। आज भी शिवलिंग जमीन के काफी नीचे तक है।
Bageshwar Dham Sarkar मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस धाम में रामभक्त हनुमान जी अपने श्री बागेश्वर बालाजी महाराज के स्वरुप में वास करते हैं और भक्तों का भला करते हैं। इस मंदिर / धाम में आने के लिए सभी भक्तगणों को अपनी अर्जी लगानी होती है। अर्जी स्वीकार होने पर उन्हें निःशुल्क टोकन मिलता है।
Bageshwar Dham Sarkar मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस धाम में रामभक्त हनुमान जी अपने श्री बागेश्वर बालाजी महाराज के स्वरुप में वास करते हैं और भक्तों का भला करते हैं। इस मंदिर / धाम में आने के लिए सभी भक्तगणों को अपनी अर्जी लगानी होती है। अर्जी स्वीकार होने पर उन्हें निःशुल्क टोकन मिलता है।
आश्चर्य की बात यह है कि बाल ब्रह्मचारी के रूप में प्रसिद्ध हनुमान जी के पैरों के नीचे है स्त्री के रूप में प्रतिमा शनि देव की जो कि व्याधि उपाधि के तौर पर जाने जाते हैं और जिन्होंने हनुमान जी से बचने के लिए स्त्री का स्वरूप धारण किया था। और आज भी यहां हनुमान जी की पूजा और अर्चना करने मात्र से शनि दोष दूर हो जाते हैं।कुछ भक्त तो मात्र शनि प्रकोप से बचने के लिए यहां आते हैं क्योंकि वो तो जानते हैं कि वो शनिदेव से डरते हैं लेकिन शनिदेव अगर किसी से डरते हैं तो वो स्वयं कष्ट भंजन हनुमान जी से।
आश्चर्य की बात यह है कि बाल ब्रह्मचारी के रूप में प्रसिद्ध हनुमान जी के पैरों के नीचे है स्त्री के रूप में प्रतिमा शनि देव की जो कि व्याधि उपाधि के तौर पर जाने जाते हैं और जिन्होंने हनुमान जी से बचने के लिए स्त्री का स्वरूप धारण किया था। और आज भी यहां हनुमान जी की पूजा और अर्चना करने मात्र से शनि दोष दूर हो जाते हैं।कुछ भक्त तो मात्र शनि प्रकोप से बचने के लिए यहां आते हैं क्योंकि वो तो जानते हैं कि वो शनिदेव से डरते हैं लेकिन शनिदेव अगर किसी से डरते हैं तो वो स्वयं कष्ट भंजन हनुमान जी से।
गोमती राजघाट नैमिषारण्य हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। जो उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लगभग 80 किमी दूर सीतापुर जिले में है प्रतिदिन गोमतीराजघाट नैमिषारण्य,सीतापुर से माता गोमती के दर्शन व पूजा आरती का लाभ प्राप्त करे।।श्री अष्टांग कवच आरती की तरफ से सभी भक्तगणों को मां आदिगंगा गोमती का हार्दिक आशीर्वाद ।।
गोमती राजघाट नैमिषारण्य हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। जो उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लगभग 80 किमी दूर सीतापुर जिले में है प्रतिदिन गोमतीराजघाट नैमिषारण्य,सीतापुर से माता गोमती के दर्शन व पूजा आरती का लाभ प्राप्त करे।।श्री अष्टांग कवच आरती की तरफ से सभी भक्तगणों को मां आदिगंगा गोमती का हार्दिक आशीर्वाद ।।