Dharm Nagri Bharat (Temples in India)

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The Siddhivinayak Temple is a famous Hindu Temple
The Siddhivinayak Temple in Mumbai, Maharashtra

The Siddhivinayak Temple Overview

The Siddhivinayak Temple is a famous Hindu temple dedicated to Lord Ganesh, located in Prabhadevi area of Mumbai, Maharashtra, India. It is one of the most revered and visited temples in the city and holds great religious significance for devotees of Lord Ganesh.

Here are some key features and information about the Siddhivinayak Temple:

  1. History: The temple was built in the 19th century by Laxman Vithu and Deubai Patil, who were devout followers of Lord Ganesh. The temple’s construction was completed in 1801.
  2. Architecture: The temple follows the traditional Hindu architectural style with intricate carvings and embellishments. The central deity is Lord Ganesh, who is depicted as a four-armed deity with a lotus in one hand and an axe in another.
  3. Idol: The idol of Lord Ganesh in the Siddhivinayak Temple is carved out of a single black stone and is two and a half feet tall. The idol is adorned with gold and silver ornaments and is believed to be self-manifested (svayambhu).
  4. Importance: The temple is considered to be a powerful center of positive energy and spirituality. Devotees visit the Siddhivinayak Temple to seek blessings for various aspects of life, including success, prosperity, health, and removal of obstacles.
  5. Ganesh Chaturthi: The temple is particularly vibrant and crowded during the festival of Ganesh Chaturthi, which celebrates the birth of Lord Ganesh. The festival attracts a large number of devotees who come to offer prayers and seek the blessings of Lord Ganesh.
  6. Darshan and Timings: The temple provides darshan (viewing of the deity) to devotees throughout the day. The timings can vary, but generally, the temple opens early in the morning and remains open until late evening.
  7. Crowd and Facilities: Due to its popularity, the Siddhivinayak Temple can get quite crowded, especially on Tuesdays, weekends, and during festivals. The temple management has made arrangements to handle the crowd, including separate queues for men and women. Facilities such as cloakrooms, prasad (holy offering) counters, and donation counters are available for devotees.
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The Siddhivinayak Temple is a famous Hindu Temple
The Siddhivinayak Temple in Mumbai, Maharashtra

The Siddhivinayak Temple Overview

The Siddhivinayak Temple is a famous Hindu temple dedicated to Lord Ganesh, located in Prabhadevi area of Mumbai, Maharashtra, India. It is one of the most revered and visited temples in the city and holds great religious significance for devotees of Lord Ganesh.

Here are some key features and information about the Siddhivinayak Temple:

  1. History: The temple was built in the 19th century by Laxman Vithu and Deubai Patil, who were devout followers of Lord Ganesh. The temple’s construction was completed in 1801.
  2. Architecture: The temple follows the traditional Hindu architectural style with intricate carvings and embellishments. The central deity is Lord Ganesh, who is depicted as a four-armed deity with a lotus in one hand and an axe in another.
  3. Idol: The idol of Lord Ganesh in the Siddhivinayak Temple is carved out of a single black stone and is two and a half feet tall. The idol is adorned with gold and silver ornaments and is believed to be self-manifested (svayambhu).
  4. Importance: The temple is considered to be a powerful center of positive energy and spirituality. Devotees visit the Siddhivinayak Temple to seek blessings for various aspects of life, including success, prosperity, health, and removal of obstacles.
  5. Ganesh Chaturthi: The temple is particularly vibrant and crowded during the festival of Ganesh Chaturthi, which celebrates the birth of Lord Ganesh. The festival attracts a large number of devotees who come to offer prayers and seek the blessings of Lord Ganesh.
  6. Darshan and Timings: The temple provides darshan (viewing of the deity) to devotees throughout the day. The timings can vary, but generally, the temple opens early in the morning and remains open until late evening.
  7. Crowd and Facilities: Due to its popularity, the Siddhivinayak Temple can get quite crowded, especially on Tuesdays, weekends, and during festivals. The temple management has made arrangements to handle the crowd, including separate queues for men and women. Facilities such as cloakrooms, prasad (holy offering) counters, and donation counters are available for devotees.
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लिलौटी नाथ मंदिर लखीमपुर-खीरी

लिलौटी नाथ मंदिर (लखीमपुर-खीरी) क्यों प्रसिद्ध है?​

लिलौटी नाथ मंदिर का आकर्षण मुख्य रूप से इसकी विशालकाय शिवलिंग है जो मंदिर के मध्य में स्थापित है। मंदिर के बाहर भी बहुत सारी मूर्तियां हैं, जिनमें भगवान गणेश, माँ पार्वती और भगवान विष्णु की मूर्तियां शामिल हैं।

लिलौटी नाथ मंदिर लखीमपुर-खीरी

लिलौटी नाथ मंदिर का नाम इस मंदिर में विराजमान लिलौटी नाथ भगवान से रखा गया है। मंदिर का निर्माण भू-अभिलेखों के अनुसार सन् 1812 में हुआ था और इसके बाद कुछ बार इसे फिर से बनाया गया था। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे बड़े आदर से पूजा जाता है। इस मंदिर में विशेष अवसरों पर भक्तों की भीड़ बड़ी होती है, जैसे महाशिवरात्रि, श्रावण मास और नवरात्रि आदि।

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लिलौटी नाथ मंदिर लखीमपुर-खीरी

लिलौटी नाथ मंदिर (लखीमपुर-खीरी) क्यों प्रसिद्ध है?​

लिलौटी नाथ मंदिर का आकर्षण मुख्य रूप से इसकी विशालकाय शिवलिंग है जो मंदिर के मध्य में स्थापित है। मंदिर के बाहर भी बहुत सारी मूर्तियां हैं, जिनमें भगवान गणेश, माँ पार्वती और भगवान विष्णु की मूर्तियां शामिल हैं।

लिलौटी नाथ मंदिर लखीमपुर-खीरी

लिलौटी नाथ मंदिर का नाम इस मंदिर में विराजमान लिलौटी नाथ भगवान से रखा गया है। मंदिर का निर्माण भू-अभिलेखों के अनुसार सन् 1812 में हुआ था और इसके बाद कुछ बार इसे फिर से बनाया गया था। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे बड़े आदर से पूजा जाता है। इस मंदिर में विशेष अवसरों पर भक्तों की भीड़ बड़ी होती है, जैसे महाशिवरात्रि, श्रावण मास और नवरात्रि आदि।

Elementor #1903
Devghar

बाबा वैद्यनाथ धाम, झारखंड

 

बाबा वैद्यनाथ धाम, जिसे बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इसे भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। 

 

इतिहास और महत्व:

बाबा वैद्यनाथ धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत पुराना है। यह कहा जाता है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी कारण से यह स्थान शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। 

 

मंदिर की संरचना:

मंदिर का वास्तुशिल्प अद्वितीय है और यह भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर परिसर में मुख्य शिवलिंग के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय आदि शामिल हैं। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार भव्य है और यहां पर दर्शनार्थियों की भीड़ हमेशा बनी रहती है।

 

**पूजा और अनुष्ठान**:

बाबा वैद्यनाथ धाम में हर दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। श्रावण मास के दौरान यहां विशेष रूप से कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है।

 

**त्यौहार और मेलों का आयोजन**:

श्रावण मास के अलावा महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति और रामनवमी जैसे त्योहारों पर भी यहां विशेष आयोजन होते हैं। इन अवसरों पर मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। 

 

**आवागमन और ठहरने की व्यवस्था**:

देवघर अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन देवघर और निकटतम हवाई अड्डा रांची है। मंदिर के निकट ही कई धर्मशालाएँ और होटल हैं, जहां श्रद्धालु ठहर सकते हैं।

 

**पर्यटक आकर्षण**:

मंदिर के अलावा, देवघर में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जैसे नंदन पहाड़, सिविल शिवगंगा, त्रिकुट पहाड़ आदि। ये स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

 

**समाजसेवा और चिकित्सा सेवाएं**:

बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर ट्रस्ट समाजसेवा और चिकित्सा सेवाओं में भी सक्रिय है। यहां पर कई मुफ्त चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है और गरीबों की सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं।

 

**सुरक्षा और व्यवस्था**:

मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं और प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। यहां पर 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था रहती है और हर साल लाखों भक्त यहां बिना किसी परेशानी के दर्शन करने आते हैं।

 

बाबा वैद्यनाथ धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और आनंद का स्रोत भी है। यहां आकर भक्त अपने जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति करते हैं।

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बाबा वैद्यनाथ धाम, झारखंड

 

बाबा वैद्यनाथ धाम, जिसे बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इसे भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। 

 

इतिहास और महत्व:

बाबा वैद्यनाथ धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत पुराना है। यह कहा जाता है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी कारण से यह स्थान शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। 

 

मंदिर की संरचना:

मंदिर का वास्तुशिल्प अद्वितीय है और यह भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर परिसर में मुख्य शिवलिंग के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय आदि शामिल हैं। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार भव्य है और यहां पर दर्शनार्थियों की भीड़ हमेशा बनी रहती है।

 

**पूजा और अनुष्ठान**:

बाबा वैद्यनाथ धाम में हर दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। श्रावण मास के दौरान यहां विशेष रूप से कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है।

 

**त्यौहार और मेलों का आयोजन**:

श्रावण मास के अलावा महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति और रामनवमी जैसे त्योहारों पर भी यहां विशेष आयोजन होते हैं। इन अवसरों पर मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। 

 

**आवागमन और ठहरने की व्यवस्था**:

देवघर अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन देवघर और निकटतम हवाई अड्डा रांची है। मंदिर के निकट ही कई धर्मशालाएँ और होटल हैं, जहां श्रद्धालु ठहर सकते हैं।

 

**पर्यटक आकर्षण**:

मंदिर के अलावा, देवघर में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जैसे नंदन पहाड़, सिविल शिवगंगा, त्रिकुट पहाड़ आदि। ये स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

 

**समाजसेवा और चिकित्सा सेवाएं**:

बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर ट्रस्ट समाजसेवा और चिकित्सा सेवाओं में भी सक्रिय है। यहां पर कई मुफ्त चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है और गरीबों की सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं।

 

**सुरक्षा और व्यवस्था**:

मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं और प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। यहां पर 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था रहती है और हर साल लाखों भक्त यहां बिना किसी परेशानी के दर्शन करने आते हैं।

 

बाबा वैद्यनाथ धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और आनंद का स्रोत भी है। यहां आकर भक्त अपने जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति करते हैं।

Amarnath temple
Shri Amarnath Cave Temple

Shri Amarnath Cave Temple

अमरनाथ गुफा: एक पवित्र तीर्थस्थल

अमरनाथ गुफा जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह गुफा समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए एक कठिन यात्रा की आवश्यकता होती है।

  • धार्मिक महत्व

    अमरनाथ गुफा में भगवान शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जो बर्फ से निर्मित होता है। इसे अमरनाथ का हिमलिंग कहा जाता है। इस पवित्र शिवलिंग का निर्माण प्राकृतिक रूप से हर साल होता है और यह भक्तों के लिए अद्भुत और दिव्य अनुभव प्रदान करता है।
  • यात्रा का मार्ग

    अमरनाथ गुफा की यात्रा दो प्रमुख मार्गों से की जा सकती है:
    1. पहलगाम मार्ग: यह पारंपरिक और सबसे लोकप्रिय मार्ग है। यह लगभग 36 किलोमीटर लंबा है और इसमें पांच दिन का समय लगता है।
    2. बालटाल मार्ग: यह मार्ग छोटा और सीधा है, जिसकी लंबाई लगभग 14 किलोमीटर है, लेकिन यह अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण है।
  • यात्रा का समय

    अमरनाथ यात्रा का समय जून से अगस्त के बीच होता है। यह अवधि शावन मास के दौरान होती है, जब हजारों भक्त गुफा तक पहुंचते हैं। यात्रा का आयोजन श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड द्वारा किया जाता है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं।
  • मान्यता और कथा

    अमरनाथ गुफा से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को यहां अमरकथा सुनाई थी। इस कथा को सुनने के लिए कोई और जीवित न रहे, इसलिए उन्होंने अपने चारों ओर आग जलाकर सभी को भस्म कर दिया। हालांकि, एक कबूतर के जोड़े ने यह कथा सुन ली और वे अमर हो गए। आज भी कई भक्त गुफा में उन कबूतरों को देखने का दावा करते हैं।
  • सुरक्षा और सुविधा

    भक्तों की सुरक्षा के लिए यात्रा के दौरान विभिन्न कैंप और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यात्रा मार्ग पर भोजन, पानी और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी उपलब्ध होती हैं।

अमरनाथ गुफा की यात्रा एक अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है, जो श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था और भक्ति का संचार करता है। इस पवित्र तीर्थस्थल की यात्रा करने वाले भक्तों के लिए यह एक जीवनपर्यंत यादगार अनुभव होता है।

अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। 

Shri Amarnath Cave Temple

Amarnath cave
Amarnath temple
North
Shri Amarnath Cave Temple

Shri Amarnath Cave Temple

अमरनाथ गुफा: एक पवित्र तीर्थस्थल

अमरनाथ गुफा जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह गुफा समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए एक कठिन यात्रा की आवश्यकता होती है।

  • धार्मिक महत्व

    अमरनाथ गुफा में भगवान शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जो बर्फ से निर्मित होता है। इसे अमरनाथ का हिमलिंग कहा जाता है। इस पवित्र शिवलिंग का निर्माण प्राकृतिक रूप से हर साल होता है और यह भक्तों के लिए अद्भुत और दिव्य अनुभव प्रदान करता है।
  • यात्रा का मार्ग

    अमरनाथ गुफा की यात्रा दो प्रमुख मार्गों से की जा सकती है:
    1. पहलगाम मार्ग: यह पारंपरिक और सबसे लोकप्रिय मार्ग है। यह लगभग 36 किलोमीटर लंबा है और इसमें पांच दिन का समय लगता है।
    2. बालटाल मार्ग: यह मार्ग छोटा और सीधा है, जिसकी लंबाई लगभग 14 किलोमीटर है, लेकिन यह अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण है।
  • यात्रा का समय

    अमरनाथ यात्रा का समय जून से अगस्त के बीच होता है। यह अवधि शावन मास के दौरान होती है, जब हजारों भक्त गुफा तक पहुंचते हैं। यात्रा का आयोजन श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड द्वारा किया जाता है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं।
  • मान्यता और कथा

    अमरनाथ गुफा से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को यहां अमरकथा सुनाई थी। इस कथा को सुनने के लिए कोई और जीवित न रहे, इसलिए उन्होंने अपने चारों ओर आग जलाकर सभी को भस्म कर दिया। हालांकि, एक कबूतर के जोड़े ने यह कथा सुन ली और वे अमर हो गए। आज भी कई भक्त गुफा में उन कबूतरों को देखने का दावा करते हैं।
  • सुरक्षा और सुविधा

    भक्तों की सुरक्षा के लिए यात्रा के दौरान विभिन्न कैंप और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यात्रा मार्ग पर भोजन, पानी और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी उपलब्ध होती हैं।

अमरनाथ गुफा की यात्रा एक अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है, जो श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था और भक्ति का संचार करता है। इस पवित्र तीर्थस्थल की यात्रा करने वाले भक्तों के लिए यह एक जीवनपर्यंत यादगार अनुभव होता है।

अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। 

Shri Amarnath Cave Temple

Amarnath cave
Amarnath temple
मुक्‍तेश्‍वर मन्दिर

मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।

मुक्‍तेश्‍वर मन्दिर
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मुक्‍तेश्‍वर मन्दिर

मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।

मुक्‍तेश्‍वर मन्दिर
(सिद्धेश्वर महादेव मंदिर)

एक चरवाहे द्वारा जंगल में घास काटने के दौरान उसकी खुरपी लगने से शिवलिंग से खून निकलने लगा । चरवाहा घबराकर घर भाग आया। तब भगवान ने उसके सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई करने को कहा । चरवाहे ने इस स्थान की सफाई की तो उसे शिवलिंग दिखाई दी। क्षेत्र के लोग प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने लगे। शिवलिंग के आसपास लोगों ने चबूतरे का निर्माण करवा दिया। बुजुर्गों के मुताबिक इस स्थान पर आने वाले लोगों की मुरादें पूरी होने लगीं। धीरे- धीरे आसपास के क्षेत्र में यह स्थान सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात हो गया। बताते हैं कि कुछ लोगों ने शिवलिंग को ऊपर उठाने लिए कई मीटर तक जमीन खोदी लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला। आज भी शिवलिंग जमीन के काफी नीचे तक है।

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(सिद्धेश्वर महादेव मंदिर)

एक चरवाहे द्वारा जंगल में घास काटने के दौरान उसकी खुरपी लगने से शिवलिंग से खून निकलने लगा । चरवाहा घबराकर घर भाग आया। तब भगवान ने उसके सपने में आकर उसे उस स्थान की सफाई करने को कहा । चरवाहे ने इस स्थान की सफाई की तो उसे शिवलिंग दिखाई दी। क्षेत्र के लोग प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने लगे। शिवलिंग के आसपास लोगों ने चबूतरे का निर्माण करवा दिया। बुजुर्गों के मुताबिक इस स्थान पर आने वाले लोगों की मुरादें पूरी होने लगीं। धीरे- धीरे आसपास के क्षेत्र में यह स्थान सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात हो गया। बताते हैं कि कुछ लोगों ने शिवलिंग को ऊपर उठाने लिए कई मीटर तक जमीन खोदी लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला। आज भी शिवलिंग जमीन के काफी नीचे तक है।