
मंदिर के दर्शन और आरती के समय:
दर्शन का समय:
सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
दोपहर 3:30 बजे से रात 9:00 बजे तक
आरती का समय:
सुबह आरती: 6:15 बजे
शाम आरती: 6:15 बजे
मंदिर की स्थापना का काल
हिंगलाज माता मंदिर की स्थापना का सटीक समय ज्ञात नहीं है, लेकिन यह मंदिर हजारों वर्षों पुराना माना जाता है। यह मंदिर अरब आक्रमणों और सूफी परंपराओं के आगमन से पहले का है, और इसे सिंध क्षेत्र की चारणी देवी पूजा परंपरा से जोड़ा जाता है
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
यह मंदिर न केवल हिंदू समुदाय के लिए, बल्कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है, जो इसे “नानी मंदिर” या “नानी पीर” के नाम से जानते हैं। हर वर्ष अप्रैल में यहां चार दिवसीय हिंगलाज यात्रा आयोजित की जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं ।
हिंगलाज माता मंदिर में हर साल अप्रैल महीने में बहुत प्रसिद्ध हिंगलाज यात्रा (Hinglaj Yatra) या हिंगलाज माता का मेला लगता है। ये मेला पाकिस्तान का सबसे बड़ा हिंदू तीर्थ यात्रा आयोजन माना जाता है।
हर साल अप्रैल के महीने में यहाँ मेला लगता है।
चार दिन का आयोजन होता है
यात्रा विशेष रूप से चैत्र माह की पूर्णिमा (Chaitra Purnima) के आसपास होती है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार आता है।
मेले में हज़ारों श्रद्धालु, खासकर सिंध, बलूचिस्तान, कराची आदि क्षेत्रों से आते हैं।

लोग पैदल यात्रा करके माता के दर्शन करने जाते हैं।
मंदिर तक पहुँचने के लिए हिंगोल नेशनल पार्क की यात्रा करनी पड़ती है, जो एक रोमांचक अनुभव होता है।
मेले के दौरान भजन-कीर्तन, पूजा, आरती और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
हिंगलाज तीर्थ यात्रा पर्व"
हिंगलाज माता मंदिर से जुड़ा एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व (त्योहार) भी मनाया जाता है, जिसे आम तौर पर “हिंगलाज माता यात्रा” या “हिंगलाज तीर्थ यात्रा पर्व” के रूप में जाना जाता है।
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1. हिंगलाज यात्रा पर्व (Hinglaj Mata Yatra Festival):
यह पर्व चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) के आसपास मनाया जाता है, यानी मार्च-अप्रैल में।
यह पर्व ही वहां का मुख्य धार्मिक आयोजन होता है।
इस दौरान चार दिन का विशेष मेला और पूजा अनुष्ठान होता है।
2. शक्ति पूजा और नवरात्रि:
हालाँकि पाकिस्तान में बड़े स्तर पर नवरात्रि नहीं मनाई जाती, लेकिन जो भी हिंदू श्रद्धालु हिंगलाज माता से जुड़े हैं, वे नवरात्रि के दौरान भी देवी की पूजा करते हैं — खासकर शारदीय और चैत्र नवरात्रि में।
⛺ पर्व के दौरान –
हजारों श्रद्धालु मंदिर तक की कठिन यात्रा तय करते हैं, खासकर रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाकों से।
मंदिर में आरती, भजन-कीर्तन, जागरण, हवन और विशेष पूजा की जाती है।
स्थानीय मुस्लिम समुदाय भी इस यात्रा में “नानी पीर” के रूप में सहयोग करता है।

हिंगलाज माता मंदिर पहुँचने के साधन:
हिंगलाज माता मंदिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, और यह एक थोड़ा दूर-दराज और दुर्गम इलाका है — मगर आस्था के लिए रास्ते आसान हो जाते हैं ❤️
🛣️ हिंगलाज माता मंदिर पहुँचने के साधन:
📍 स्थान:
हिंगलाज / हिंगोल, बलूचिस्तान, पाकिस्तान
(कराची से लगभग 250-260 किलोमीटर दूर)
✨ रास्ता और साधन:
🔹 1. कराची से सड़क मार्ग (By Road from Karachi):
सबसे सामान्य और प्रमुख रास्ता कराची से है।
कराची से टैक्सी, जीप या स्थानीय बसें हिंगोल की ओर चलती हैं।
रास्ता जाता है:
कराची → हब चौकी → लासबेला → हिंगोल नेशनल पार्क → हिंगलाज माता मंदिर
कुल दूरी: लगभग 6-7 घंटे की यात्रा (250+ किमी)
कुछ हिस्सा रेगिस्तान और पहाड़ी इलाका भी है।
🔹 2. पैदल यात्रा (Yatra/Walking Route):
हिंगलाज यात्रा के दौरान कई श्रद्धालु, खासकर सिंध और बलूचिस्तान क्षेत्र से पैदल यात्रा करते हैं।
इस यात्रा को धार्मिक रूप से बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
🔹 3. ट्रैकिंग / ऑफ-रोड जीप्स:
मंदिर तक पहुँचने के अंतिम 10-15 किलोमीटर में जीप या SUV ट्रैकिंग की ज़रूरत होती है।
रास्ता कच्चा और थोड़ा कठिन है, लेकिन स्थानीय ड्राइवर अनुभवी होते हैं।
महत्वपूर्ण बात:
मंदिर हिंगोल नेशनल पार्क में स्थित है, इसलिए सफर में पानी, खाने का सामान और प्राथमिक चिकित्सा साथ ले जाना ज़रूरी है।
गर्मी के मौसम में धूप बहुत तेज़ होती है, इसलिए यात्रा आमतौर पर अप्रैल में मेले के दौरान ही होती है जब श्रद्धालु एकसाथ यात्रा करते हैं।