इस शिव मंदिर 300-400 साल पहले बनाया गया था और पुराने सीतापुर शहर में स्थित है।
जंगल की कटाई के समय एक पेड़ के नीचे श्यामनाथ गोस्वामी को एक बड़ा सा पत्थर मिला था। उसे उन्होंने साधारण पत्थर समझ तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसे ही इस पर वार किया गय तो खून की धार बहने लगी। श्यामनाथ ने सोचा यह कोई साधारण पत्थर नहीं है। उसे उन्होंने एक छोटा सा चबूतरा बनवाकर वहीं पर स्थापित कर दिया और रोज पूजा अर्चना करने लगे। धीरे-धीरे इसकी चर्चा सभी जगह फैल गई और लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। सन् 1869 लगभग में परमेश्वर गोस्वामी ने इसे एक छोटी सी मठिया का आकार दिया।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर शहर के मध्य स्थित बाबा श्याम नाथ मंदिर 200 सो वर्षो से भी अधिक समय से लोगों की आस्था का केंद्र बना है। यहां श्रावण मास भर आस्था का सैलाब उमड़ता है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुगण भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं।
इस शिव मंदिर 300-400 साल पहले बनाया गया था और पुराने सीतापुर शहर में स्थित है।
जंगल की कटाई के समय एक पेड़ के नीचे श्यामनाथ गोस्वामी को एक बड़ा सा पत्थर मिला था। उसे उन्होंने साधारण पत्थर समझ तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसे ही इस पर वार किया गय तो खून की धार बहने लगी। श्यामनाथ ने सोचा यह कोई साधारण पत्थर नहीं है। उसे उन्होंने एक छोटा सा चबूतरा बनवाकर वहीं पर स्थापित कर दिया और रोज पूजा अर्चना करने लगे। धीरे-धीरे इसकी चर्चा सभी जगह फैल गई और लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। सन् 1869 लगभग में परमेश्वर गोस्वामी ने इसे एक छोटी सी मठिया का आकार दिया।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर शहर के मध्य स्थित बाबा श्याम नाथ मंदिर 200 सो वर्षो से भी अधिक समय से लोगों की आस्था का केंद्र बना है। यहां श्रावण मास भर आस्था का सैलाब उमड़ता है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुगण भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं।