Dharm Nagri Bharat (Temples in India)
बैद्यनाथ धाम
Devghar

बाबा वैद्यनाथ धाम, झारखंड

 

बाबा वैद्यनाथ धाम, जिसे बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इसे भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। 

 

इतिहास और महत्व:

बाबा वैद्यनाथ धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत पुराना है। यह कहा जाता है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी कारण से यह स्थान शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। 

 

मंदिर की संरचना:

मंदिर का वास्तुशिल्प अद्वितीय है और यह भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर परिसर में मुख्य शिवलिंग के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय आदि शामिल हैं। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार भव्य है और यहां पर दर्शनार्थियों की भीड़ हमेशा बनी रहती है।

 

**पूजा और अनुष्ठान**:

बाबा वैद्यनाथ धाम में हर दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। श्रावण मास के दौरान यहां विशेष रूप से कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है।

 

**त्यौहार और मेलों का आयोजन**:

श्रावण मास के अलावा महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति और रामनवमी जैसे त्योहारों पर भी यहां विशेष आयोजन होते हैं। इन अवसरों पर मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। 

 

**आवागमन और ठहरने की व्यवस्था**:

देवघर अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन देवघर और निकटतम हवाई अड्डा रांची है। मंदिर के निकट ही कई धर्मशालाएँ और होटल हैं, जहां श्रद्धालु ठहर सकते हैं।

 

**पर्यटक आकर्षण**:

मंदिर के अलावा, देवघर में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जैसे नंदन पहाड़, सिविल शिवगंगा, त्रिकुट पहाड़ आदि। ये स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

 

**समाजसेवा और चिकित्सा सेवाएं**:

बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर ट्रस्ट समाजसेवा और चिकित्सा सेवाओं में भी सक्रिय है। यहां पर कई मुफ्त चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है और गरीबों की सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं।

 

**सुरक्षा और व्यवस्था**:

मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं और प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। यहां पर 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था रहती है और हर साल लाखों भक्त यहां बिना किसी परेशानी के दर्शन करने आते हैं।

 

बाबा वैद्यनाथ धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थान भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और आनंद का स्रोत भी है। यहां आकर भक्त अपने जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति करते हैं।

मुक्‍तेश्‍वर मन्दिर

मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।

मुक्‍तेश्‍वर मन्दिर
Kanak Bhawan, Ayodhya

कनक भवन अयोध्या में राम जन्म भूमि, रामकोट के उत्तर-पूर्व में है। कनक भवन अयोध्या के बेहतरीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह भवन भगवान श्री राम जी से विवाह के तुरंत बाद महारानीकैकेयी जी द्वारा देवी सीता जी को उपहार में दिया गया था। यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल है।

कमल मंदिर

भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरू प्लेस (कालकाजी मंदिर) के पास स्थित एक बहाई  उपासना स्थल है। यह अपने आप में एक अनूठा मंदिर है। यहाँ पर न कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड किया जाता है, इसके विपरीत यहाँ पर विभिन्न धर्मों से संबंधित विभिन्न पवित्र लेख पढ़े जाते हैं।भारत के लोगों के लिए कमल का फूल पवित्रता तथा शांति का प्रतीक होने के साथ ईश्वर के अवतार का संकेत चिह्न भी है।मंदिर का उद्घाटन २४ दिसंबर १९८६ को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर १ जनवरी १९८७ को खोला गया।

लक्ष्मी नारायण मंदिर,दिल्ली

लक्ष्मी नारायण मंदिर बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण १९३८ में हुआ था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। बिड़ला मंदिर अपने यहाँ मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी प्रसिद्ध है।