यह एक गोलाकार तीर्थ है, जहाँ माना जाता है कि भगवान विष्णु का चक्र (सुदर्शन) या ब्रह्मा का चक्र यहाँ गिरे और जल का झरना बन गया। तर्पण और पवित्र स्नान करके श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं
श्री ललिता देवी मंदिर
ये शक्ति पीठों में से एक है—कहते हैं कि माँ सती का हृदय यहीं गिरा था। यह मंदिर देवी ललिता को समर्पित है और मान्यता है कि उन्होंने चक्र तीर्थ का जल नियंत्रित किया था ।
व्यास गद्दी (Vyasa Peetha / Vyas Gaddi)
पौराणिक ऋषि वेदव्यास का स्थान जहाँ उन्होंने महाभारत, वेद एवं पुराणों की रचना या व्याख्या की थी। यहाँ एक शांत आश्रम-श्रद्धा स्थल मौजूद है ।
दशाश्वमेध घाट
यह घाट गोमती नदी के किनारे है, जहाँ भगवान राम ने दसवाँ अश्वमेध यज्ञ किया था। निकटवर्ती मंदिरों में राम, सीता, लक्ष्मण और शिव-शक्ति की मूर्तियाँ हैं ।
सूता गद्दी (Suta Gaddi)
ऋषि सूत यहाँ हजारों ऋषियों को पुराण और महाभारत सुनाते थे—यहां शिक्षा और धर्म का केंद्र था
हनुमानगढ़ी मंदिर
गोमती तट पर स्थित, विशाल हनुमान जी की मूर्ति है जिसमें वह राम-लक्ष्मण को कंधों पर ले जा रहे हैं। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ हनुमान पाताल लोक से वापस आए थे ।
दधिचि कुंड (Mishrikh में लगभग 10 किमी दूर)
ऋषि दधिचि ने अपनी हड्डियाँ इंद्र का ऐस्साधन बनाने हेतु बलिदान दी थीं। यह कुंड कई पवित्र नदियों के जल का संगम है ।