Dharm Nagri Bharat (Temples in India)

कामाख्या मन्दिर

कामाख्या मंदिर भारत में सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और स्वाभाविक रूप से, सदियों का इतिहास इसके साथ जुड़ा हुआ है | ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण आठवीं और नौवीं शताब्दी के बीच हुआ था |  भारतीय इतिहास के मुताबिक,16वीं सदी में इस मंदिर को एक बार नष्ट कर दिया गया था | फिर कुछ सालों बाद बिहार के राजा नारायण नरसिंह द्वारा 17वीं सदी में इस मंदिर का पुन: निर्माण कराया गया |

मूल मंत्र

या देवी सर्वभूतेषुकाम-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

यह माँ कामख्या देवी का मूल मंत्र है | माना जाता है इस मंत्र के उच्चारण से माता कामख्या देवी को प्रसन्न किया जा सकता है | इसके जप से कामरूपी समस्याओं का अंत हो जाता है| इस मंत्र 108 बार प्रतिदिन जपा जा सकता है साधारण रूप में.

 यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है व इसका महत्व तांत्रिक रूप से अधिक है। प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है । यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है।

विशेष महत्त्व :

यह विश्व का सबसे बलिदान वाला मंदिर है | यहाँ पर माँ कामख्या देवी को भैसे की बलि देकर उसका सर माता के चरणों में चढ़ाया जाता है |  यहाँ सबसे बड़ा बलिस्थान है 

आरती समय :

प्रातः : 8:00 बजे से दोपहर १ बजे तक

दोपहर १ बजे से २ बजे तक मंदिर बंद रहता है दर्शन नहीं किये जा सकते हैं |

पुनः दोपहर २ बजे से रात्रि ८ बजे तक दर्शन किये जा सकते हैं |

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